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कई बार उदासी में, ठोकर और शाबाशी में, मायूसी से बच

कई बार उदासी में,
ठोकर और शाबाशी में,
मायूसी से बचने के लिए
खुद से बहुत कुछ कहने के लिए
हाँ खुद को ही समझने के लिए
बारहा खुद को समझाने के लिए
खुद से ही जंग का ऐलान किया,
मन अपना रण का मैदान किया

©Meena Singh Meen
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