फिर आये हो एकबार डर सा लगता है! अब किसी होकर आये हो आदत छूटती नही क्या मेरी या फिर की गुरूर सा टूट गया है हाँ! हो सकता है फिर की जरूरत पूरी करने आये हो! मर भी जाऊँ अगर मुड़ कर नही देखोगे बोला था ना तुमने! आज लगता है फिर सारी साँसे गिनने आये हो तस्वीरो को मेरी जो देखते हो आजकल उस रोज तक तो खामोशियाँ ढूंढ करते थे। तो कौनसी अब महोब्बत जागी है तुम्हारे जहन मे। हो सकता है फिर की जंजीर साथ आये हो। बेशक ठीक हो सकता है, हो सकता है हम साथ हो , जिंदगी जीने की फिर वही बात हो क्या भरोसा करू मै अब तुम्हारा लगता तो नही पूरी जिंदगी साथ लाये हो! फिर आये हो एकबार, दर सा लगता है! अब किसके होकर आये हो! ©Shraddha Dwivedi fir aaye ho ek baar