औरत के हैं रूप कई पर माँ जैसा है कोई और नहीं उसकी ममता के टक्कर का इस दुनिया में कोई प्रेम नहीं माँ जब आलिंगन करती है माथे पर चुम्बन करती है खिल जाते हैं रूख़्सार मेरे अधरों पर मुस्कां आती है इन होठों पर छाई मुस्कां जो तेरे कारण आती है इन रूख़्सारों की रंगत की इस दुनिया में कोई होड़ नहीं औरत के हैं रूप कई पर माँ जैसा है कोई और नहीं गोद में मेरा सिर रखकर माँ जब प्यार से हाथ फिराती है दफ्तर की थकान सारी पल भर में गुम हो जाती है जो नींद तेर आंचल में तेरी लोरी सुनकर आती है महंगे गद्दों पर सोकर देखा कहीं आती है वो नींद नहीं औरत के हैं रूप कई पर माँ जैसा है कोई और नहीं #चौबेजी #चौबेजी #माँ #ममत्व #नोजोटो #नज्म #nojoto