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तेरे कंगन तेरे कर की कंगन प्रिये मधुरम ध्वनि सी खन

तेरे कंगन तेरे कर की कंगन प्रिये मधुरम ध्वनि सी खनक रही है ।
   नये सफर की तैयारी में तेरे पाँव की पायल छनक रही है ।।
 तेरे मस्तक की बिंदिया जैसे बरखा बूंदे सी चमक रही है ।
     हया इश्क की कपोल लिए रवि की लाली दमक रही  है  ।। 
तेरे हाथों की मेहदी प्रीत के रंग में पल-पल चटक रही है ।
प्रेम मधुर रस मिश्री तेरे होठो से ओस सी टपक रही है ।।
नयन नाव का रूप लिए दुःख भँवरजाल से विहर रही है  ।
      रूह सलीके से सजोकर प्रतिष्ठा आलिंगन से सिहर रही है ।।    


((( कवि राहुल पाल )))
शब्दार्थ ~ चटक -गाढ़ा ,भंवरजाल - जीवन की उलझन 
विहर -अलग होना ,सिहर -सिहरन #Love 
तेरे कर की कंगन प्रिये मधुरम ध्वनि सी खनक रही है ।
   नये सफर की तैयारी में तेरे पाँव की पायल छनक रही है ।।
 तेरे मस्तक की बिंदिया जैसे बरखा बूंदे सी चमक रही है ।
     हया इश्क की कपोल लिए रवि की लाली दमक रही  है  ।। 
तेरे हाथों की मेहदी प्रीत के रंग में पल-पल चटक रही है ।
प्रेम मधुर रस मिश्री तेरे होठो से ओस सी टपक रही है ।।
नयन नाव का रूप लिए दुःख भँवरजाल से विहर रही है  ।
तेरे कंगन तेरे कर की कंगन प्रिये मधुरम ध्वनि सी खनक रही है ।
   नये सफर की तैयारी में तेरे पाँव की पायल छनक रही है ।।
 तेरे मस्तक की बिंदिया जैसे बरखा बूंदे सी चमक रही है ।
     हया इश्क की कपोल लिए रवि की लाली दमक रही  है  ।। 
तेरे हाथों की मेहदी प्रीत के रंग में पल-पल चटक रही है ।
प्रेम मधुर रस मिश्री तेरे होठो से ओस सी टपक रही है ।।
नयन नाव का रूप लिए दुःख भँवरजाल से विहर रही है  ।
      रूह सलीके से सजोकर प्रतिष्ठा आलिंगन से सिहर रही है ।।    


((( कवि राहुल पाल )))
शब्दार्थ ~ चटक -गाढ़ा ,भंवरजाल - जीवन की उलझन 
विहर -अलग होना ,सिहर -सिहरन #Love 
तेरे कर की कंगन प्रिये मधुरम ध्वनि सी खनक रही है ।
   नये सफर की तैयारी में तेरे पाँव की पायल छनक रही है ।।
 तेरे मस्तक की बिंदिया जैसे बरखा बूंदे सी चमक रही है ।
     हया इश्क की कपोल लिए रवि की लाली दमक रही  है  ।। 
तेरे हाथों की मेहदी प्रीत के रंग में पल-पल चटक रही है ।
प्रेम मधुर रस मिश्री तेरे होठो से ओस सी टपक रही है ।।
नयन नाव का रूप लिए दुःख भँवरजाल से विहर रही है  ।