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❤️❤️✍️✍️✍️ जब ब्याह एक बिटिया का होता है ना... उ

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जब ब्याह एक बिटिया का होता है ना...

उसकी चंचलता रस्मों रिवाजों की भारी भरकम चुनरी जिसमें मायके की इज्जत की तार के साथ ससुराल के इज्जत रूपी मोती मनके जड़े हुए होते हैं। 

कभी मायके से जब दुल्हन की डोली उठती है ना तो उस भारी भरकम चुनरी से दबे कल तक चिड़ियों की तरह चहकने वाली, तो, कभी बवंडर की तरह तूफान बन बाबूजी के आंगन में हंगामा मचाने वाली लड़की की आंखें पढ़ना .. आंखों में नमकीन धार मिलेंगे ..।

कोई कहेगा खुशी के आंसू हैं तो कोई मां पिता से बिछडने का दुःख। 

जबकि सच यह है कि वह  डर  होता है । हरेक लड़की के लिए .. 

क्योंकि अचानक भारी भरकम जिम्मेदारी वाली ओढ़नी की भार नाजुक सी बेटी के कंधे पर रखा गया होता है। चहकते हुए ओढती है वो .... चुनरी जरा भी ना खिसके उसके लिए कई नसीहतों वाली कील ठोक दी गईं होती है।

उस चिड़िया को इस बात का  अहसास  जैसे ही डोली  आगे बढ़ती है हो जाता है। जब उसकी हिचकियां अपने आप दम तोड देती है और बचपन और बचपना झेलने वाले अपने पीछे छूटते जाते है। 
मोना सिंह 
आत्मसंपदा

©Mona Singh
  #बिटिया