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इश्क मैंने किया है तुमसे एक तरफा ही सही अब तुम्हे

 इश्क मैंने किया है तुमसे एक तरफा ही सही अब तुम्हे ही  ना हुआ इश्क हमसे तो क्या हुआ।
 तुम्हें खुश देख कर मैं खिल जाता हूं गुलाब सा अब मुझे खुश देख कर तुम नहीं खिलती तो क्या हुआ।
तुम्हें देख उदास मैं भी उदास हो जाऊं और मेरे उदास होने से तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता तो क्या हुआ।
मुझे तेरे होने से मिलता है सुकून और तेरे लिए मेरा अस्तित्व ही नही तो क्या हुआ।
तेरी आंखों के नशे का खुमार चढ़ा है मुझे और तुझे इसकी खबर ही नहीं तो क्या हुआ।
तेरे रूठने से मानो मेरा खुदा रूठा हो और मेरे रूठने से तुझे कुछ हो ही ना तो क्या हुआ।
मेरी जिंदगी में प्यार के बसंत से तुम और तेरी जिंदगी में अनचाही गर्मी की ऋतु सा मैं तो क्या हुआ।
बढ़ जाती है मेरे दिल की धड़कने तेरी आवाज सुन कर और मेरी आवाज से तुम्हें कुछ एहसास ही नहीं होता  तो क्या हुआ। 
मेरी जिंदगी में होली के रंगों से तुम और तेरी जिंदगी में बेरंग सा मैं तो क्या हुआ।
मेरी जिंदगी की सुंदर कविता हो तुम और तेरी जिंदगी में अनचाही शायरी सा  हूं  मैं तो क्या हुआ।
तुम्हारी हर खता मेरे लिए इजहार ए मोहब्बत है और मेरी  इश्क की सब बातें तुम्हारे लिए खता है तो क्या हुआ।
मेरे लिए तुम्हारी खामोशी मौत से भी ज्यादा खौफनाक और तेरे लिए मेरी खामोशी कुछ नहीं तो क्या हुआ।
मेरे लिए तू प्यार का दीप हैं और तेरे लिए एक मुसाफ़िर सा इंसान हूं मैं तो क्या हुआ।

©Musafir ke ehsaas
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