ज़िंदगी के धुँधले रास्तें भी चमकदार नज़र आने लगें है, गिरता हूँ फिर भी राहों के तलबग़ार नज़र आने लगें है। ठहरों तो ज़रा ऐ! सबा पैग़ाम-ए-इश्क़ लेती जाना मेरा, कहना बिना गुनाह किए भी गुनहग़ार नज़र आने लगें है। तेरे जाने के बाद भी शोर दिल के कम नही हुए 'आशु', ख़ाली ख़ाली से है फिर भी बाज़ार नज़र आने लगें है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 📌 रचना का सार..📖 के Pin Post पर 📮 वाले नियम अवश्य पढ़े..😊🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-69 में स्वागत करता है..🙏🙏