अब न्यायालय में न्याय नहीं अन्याय सुरक्षित होता है। अब पुलिस नियन्त्रण में भी तो हर प्राय सुरक्षित होता है।। बहु साक्ष्य जुटा अपराध मिटाना संभव नहीं मिल्कियत में। सर हैवानों का कलम करो अब न्याय भी लज्जित होता है।। (अनुशीर्षक "नारी अस्मिता संरक्षण एवं स्वतन्त्र भारत में हैवानियत") ********************** तुम आद्यशक्ति जगदम्बा थी रणचण्डी की अवतारी थी, दामन को कैसे लजा दिया जब सिंहों की अधिकारी थी। मैं प्रश्न करूँ यह उचित नहीं तुम उत्तर भी दो अर्थ नहीं, जब सत्य सनातन जिंदा था तुम देवी थी कोई व्यर्थ नहीं। समभाव समन्नवय की भाषा सर्वस्व समर्पण का युग था, तुम घर घर पूजी जाती थी सम्मान तुम्हारा सबकुछ था। पर काल समय की धारा ने बदली करवट बीमार किया,