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तहरीर ही ख़यालो को समेट पाती है, वरना मंज़र-ए-ख़याल

तहरीर ही
ख़यालो को समेट पाती है,

वरना मंज़र-ए-ख़याल तो 
बहुत दूर ले जाते हैं।

©Devendra Bisht #फ़साना  Chitra Roy Sanju Singh Anshu writer
तहरीर ही
ख़यालो को समेट पाती है,

वरना मंज़र-ए-ख़याल तो 
बहुत दूर ले जाते हैं।

©Devendra Bisht #फ़साना  Chitra Roy Sanju Singh Anshu writer