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पल्लव की डायरी जुल्मो और मंहगाई की मटकी कैसे फोड़ू

पल्लव की डायरी
जुल्मो और मंहगाई की मटकी
कैसे फोड़ू  नित नित ऊंची होती जाये
हाड़ मांस के पुतले बन गये हम सब
माखन की मटकी तक ना पहुँच पाये
ख़ुशियाँ हम से ऐसी रूठी
उत्सव त्योहार हमें लजाये
जेल में कान्हा जन्मे,कंस मामा उन्हें सताये
हम पर भी पड़ी है सियासी मार
जीवन का आधार डूबा जाये
साहस नही है हम सब पर इतना
संहार पापियों का कर पाये
गोविंद भरोसे हम सब बैठे
कोई रण क्षेत्र तैयार किया जाये
                                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #janmashtami जुल्मो और महँगाई की मटकी कैसे फोड़ू नित नित बढ़ती जाये
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