आज आया जो तेरे मैं सम्मुख सनम मन हुआ ये द्रवित और भीगे- नयन आज जो कुछ भी हूँ तेरी सौगात है ना ही एकदम मिली कोई -खैरात है मैंने जो भी लिखा यार तुझसे लिखा अपने अहसासों को न है जाया किया जब मिले तुम मुझे भान वो भी है दिन कुछ कहते थे फिर खुलके मुस्काते थे बस यही थीं अदा जो दिल छू जाते थे जितना तुमको जाना और समझा मैंने ना ही रखती दिखावा ,ना छलावा रखो कहते हो अजनबी पर ना ही अंजाना हूँ सच -बताऊँ तुम्हें ना कोई बेगाना हूँ तुमनें जो भी दिया हमनें हँसकर लिया ना ही तुमसे कोई भी है छल ही किया पढ़ लोगे मुझे तुम तो समझ ही जाओगे स्वयं के अंदर सदा ही तुम मुझे पाओगे क्यों करूँ मैं दिखावा क्यों बयाँ ही करूँ साथ -मेरे जो हैं उनको दिल में ही रखूँ आज आया जो तेरे मैं सम्मुख सनम मन हुआ ये द्रवित और भीगे हैं नयन बात अहसासों की नित ही करता हूँ मैं देखो -देखो किसी से ना ही डरता हूँ मैं ©ANOOP PANDEY #special_one