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फिरसे फूल अनेक खिल महक रहें हैं, हाँ एक बार फिर, ह

फिरसे फूल अनेक खिल महक रहें हैं,
हाँ एक बार फिर, हम शर्मा रहे हैं,
ऐ सनम अरसों साथ निभाकर आज,
फिर मोहब्बत में इठला रहें हैं।
मोहब्बत ज़ालिम चीज़ ही ऐसी है,
बार-बार कर्ज़दार कर, फिर हकदार बनाती है,
जितनी आग इधर लगी है,
देखती हूँ पानी पानी हो तुम भी कबसे। 
जब-जब नज़रें मिलीं हैं तुमसे,
जब-जब सुमधुर आवाज़ छू जाती है,
प्यार बेशुमार होता रहा है हमदम,
आज फिर शब्दों का झरना आप बह रहा है।।

 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1048 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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फिरसे फूल अनेक खिल महक रहें हैं,
हाँ एक बार फिर, हम शर्मा रहे हैं,
ऐ सनम अरसों साथ निभाकर आज,
फिर मोहब्बत में इठला रहें हैं।
मोहब्बत ज़ालिम चीज़ ही ऐसी है,
बार-बार कर्ज़दार कर, फिर हकदार बनाती है,
जितनी आग इधर लगी है,
देखती हूँ पानी पानी हो तुम भी कबसे। 
जब-जब नज़रें मिलीं हैं तुमसे,
जब-जब सुमधुर आवाज़ छू जाती है,
प्यार बेशुमार होता रहा है हमदम,
आज फिर शब्दों का झरना आप बह रहा है।।

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sitalakshmi6065

Sita Prasad

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