सालगिरह हां आज हमारी शादी सोलह बरस की हो गई बचपन का अल्हड़पन देखा नहीं इसने और जवानी में ही ये विधवा हो गई सोलह साल में सावन आया नहीं कभी सारे अरमान जले और मोहब्बत ख़ाक हो गई हां आज हमारी शादी सोलह बरस की हो गई कैसे दूं मुबारक बाद तुझे सालगिरह की अपनी जीवन का हर साल गीरहों में ही घिरा पाया है न खुशी का साल जीवन में आया कोई न ज़िंदगी को तेरी संगत कभी रास आई हां आज हमारी शादी सोलह बरस की हो गई गीली गीली खुशियां बरसाई थी जो तुमने कभी आज भी मेरा आंचल अमीर हुआ है जिससे फिर भी तेरे नाम के साथ पहचान लिए बिन सांसों को लिए मैं सोलह साल हूं जी गई हां आज हमारी शादी सोलह बरस की हो गई ©Swati kashyap #सालगिरह#nojotohindi#nojotopoetry#nojotowrites सुरेश'अनजान' रश्मि सचिन पाठक