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=बहता लम्हा= सपनों के फूल कुम्हला गए, शब्दों के श

=बहता लम्हा=

सपनों के फूल कुम्हला गए, शब्दों के शूलों से हृदय हुआ विदीर्ण
घाव ,,घाव ना रह, बन गए नासूर, कुसूर बस इतना सा था,

ना दिया जवाब कभी,ना अपनी मर्जी जाहिर की।
उनकी खुशियों में हम भी खुश, यही कोशिश जारी रही।

पलट कभी ना देखा दिल के छालों को, सहलाते हम उनके पैर रहे।
बहता,,बहता लमहां जिंदगी का,ठिकाना ना रहा कोई।
अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻

©Ashutosh Mishra #BehtaLamha 
सपनों के फूल कुम्हला गए, शब्दों के शूलों से हृदय हुआ विदीर्ण।
घाव,,,घाव ना रह,बन गए नासूर।
कुसूर बस इतना सा था।
ना दिया कभी जवाब कभी ना अपनी मर्जी जाहिर की ,
उनकी खुशियों में ही खुश,बस यही कोशिश जारी रही।
पलट कभी ना देखा दिल के छालों को,
सहलाते हम उनके पैर रहे।

#BehtaLamha सपनों के फूल कुम्हला गए, शब्दों के शूलों से हृदय हुआ विदीर्ण। घाव,,,घाव ना रह,बन गए नासूर। कुसूर बस इतना सा था। ना दिया कभी जवाब कभी ना अपनी मर्जी जाहिर की , उनकी खुशियों में ही खुश,बस यही कोशिश जारी रही। पलट कभी ना देखा दिल के छालों को, सहलाते हम उनके पैर रहे। #kukku2004

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