मुक्तक नयन नयनों से मिले मानो गुल खिल उठे बात अधरों पर आई और वदन खिल उठे जब भी मिलन हो तुम्हारा उससे बाजार में, उससे ऐसे मिलो तन और मन खिल उठे ©सुरेश अनजान #Sad_Status Swati kashyap Prachi Mishra