वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।2.22।। 🙏🏻🙏🏻श्रीमद्भगवद्गीता🙏🏻🙏🏻 चोले ही बदलता रह गया भीतर न बदला कुछ भी... अगर चोला भीतर पहुंच जाता शायद दोबारा फिर आता नहीं।।।। 😌हरी ॐ😌 ©Ram Yadav #अध्यात्म #भक्ति #गीता_ज्ञान