बैठते थे महफ़िल ए शाम कभी वो, आज दुबक कर घर बैठे है। बशर्ते आज भी है जिंदगी बाहर, बस जिंदगी में मास्क को हिस्सा बनाना है।। सुमेश सुमेश #MomentOfTime सुमेश