शबो रोज हिज्र में यूं मुहब्बत बढ़ जाती है जिस तरह खुदा के जिक्रे खैर से हरसू इबादत बढ़ जाती है//१ रोज हम खूने जिगर से होते है आलूदा,दिल जलता है, कभी मुहब्बत में हिज्रे लज्जत बढ़ जाती है//२ बंद दरीचो में भी आ जाती है आबो हवा,देखिए आईने पे रोज़ गुबार की परत बढ़ जाती है//३ कई मर्तबा कोशिशें की तुझे भूल जाने की,उफ्फ तेरी यादों की मुझपे बढ़त बढ़ जाती है//५ शमा वो लोग पागल है,जो मुहब्बत में लगाते है बरसो का हिसाब,सनम इक लम्हे में मेरी लबरेज उल्फत बढ़ जाती है//५ ©IM binte hawwa shama write #septembercreator#मेमोरी#you#following#foryou#Nojotoenglish#shamawrites#मेरी_कलम_से#दिल_की_बात Arbaz Khan ALONE सुरेश'अनजान' Lawyer Bhati aman6.1 दुर्लभ "दर्शन" sahib khan صاحب خان Ruman Bedil رومان بیدل ☑