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गाएंगे वो नवगीत तराने, जिनसे मन उल्लासित हो, रातों

गाएंगे वो नवगीत तराने,
जिनसे मन उल्लासित हो,
रातों का सूनापन सूखे,
दिन मे सुख आभासित हो ।
झोंपङिया महलों सी दमके,
वन मे भी उत्सव सा हो,
बनपन भी बोझिल सा ना हो,
युवा जोश आल्हादित हो ।
नारी होना अभिशाप ना हो,
लाचार कोई  माँ बाप ना हो,
जीवों मे आपसी तालमेल, 
अनुशासित हो मर्यादित हो।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
  सब अच्छा अच्छा हो

सब अच्छा अच्छा हो #कविता

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