देखती है हमें जब,वो नज़रें चुरा लेती है मैं नज़रे हटा लेता हूं,वो पलकें झुका लेती है शुक्रगुज़ार हूं मैं उसका,आदत ये बुरी नहीं है मैं मुस्कुरा देता हूं,वो चेहरा छुपा लेती है कितने मजबूर हैं हम,ये इल्म उसे नहीं है मैं दूर से देखता हूं,वो काजल लगा लेती है उड़ती है उसकी ज़ुल्फ़ें,हवा तेज़ चल रही है भागता हूं जब मैं ख़ुद से,वो अपना बना लेती है कोई दुआ कुबूल कर लो,लोग क्या कहेंगे मैं हाथों को उठा लेता हूं,वो सिर को झुका लेती है सफ़र की हद है वहां तक,जहां तक साथ तुम चलो हार कर दिल वो अपना,अक्सर मुझको जिता देती है... © abhishek trehan #ishq #sufilove #dil #dairy #lovestory #hindishayari #hindipoetry #yqdada