रंगरेज़ बना लीजो मोहे, रंगरसिया सा मै जोगी l बैरन फिरू इत उत्त, प्रेम अभिलाषा, मै दोषी l भटकू काकर पाथर बनके, तिनके तिनके से बचके चलू l कोसूँ कभी राह को, कभी दरिया मे बहके चलू l बिरहा की अगन लगाए, मुई रात कब ख़त्म होगी l रंगरेज़ बना लीजो मोहे.... रंगरसिया सा मै जोगी.....ll ©Pankaj Dinkar #rangrez