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ना जाने कब तुझसे #प्यार हो गया था,ना जाने कब तू इस

ना जाने कब तुझसे #प्यार हो गया था,ना जाने कब तू इस #दिल मे बस गया था......
#तेरा हो गया था मैं ये जान ही ना सका था,तुझसे #बिछड़ा तो ही मैं समझ सका था......
ना जाने कैसे मुझसे ये #गुनाह हो गया था,सब जानते हुए भी तेरे इतने करीब आ गया था.......
जनता था एक ना हो पाएंगे कभी फिर भी #मोहब्बत तुझी से कर रहा था.......
तू हो गयी #किसी और कि क्योंकि तुझे मैं #अपना बना ना सका था.......
#खलता है अब यही मुझे के क्यों तेरे इतने करीब मैं आ गया था......
क्या तेरी ज़िन्दगी से मैंने #खिलवाड़ किया था,क्या तेरी #भावनाओं को मैंने #नज़रअंदाज़ किया था.......
खुद की नज़रों में तेरा #मुज़रिम बन गया हूं और खुद ही अपनी सज़ा की #तलाश करता हु......
                                                
/-/£mant Sharma जी की #कलम से..............✍️ my History
ना जाने कब तुझसे #प्यार हो गया था,ना जाने कब तू इस #दिल मे बस गया था......
#तेरा हो गया था मैं ये जान ही ना सका था,तुझसे #बिछड़ा तो ही मैं समझ सका था......
ना जाने कैसे मुझसे ये #गुनाह हो गया था,सब जानते हुए भी तेरे इतने करीब आ गया था.......
जनता था एक ना हो पाएंगे कभी फिर भी #मोहब्बत तुझी से कर रहा था.......
तू हो गयी #किसी और कि क्योंकि तुझे मैं #अपना बना ना सका था.......
#खलता है अब यही मुझे के क्यों तेरे इतने करीब मैं आ गया था......
क्या तेरी ज़िन्दगी से मैंने #खिलवाड़ किया था,क्या तेरी #भावनाओं को मैंने #नज़रअंदाज़ किया था.......
खुद की नज़रों में तेरा #मुज़रिम बन गया हूं और खुद ही अपनी सज़ा की #तलाश करता हु......
                                                
/-/£mant Sharma जी की #कलम से..............✍️ my History