यह प्रकृति धर्मी है धर्म इसका स्वभाव है । प्रकृति के कानून के अंतर्गत सभी कुछ अनुशासित है बिना अनुशासन के कुछ भी नही कब कौन सा संस्कार उदय होगा कहना मुश्किल है । हर पल जी लो ऐसे जियो जैसे यह आखरी पल हो ।। अब करने को कुछ न बचा जो करना था कर लिया । जो पाना था पा लिया । इस प्रकृति का काम था भोग चाहने वाले को भोग देना ।। मुक्ति चाहने वाले को मुक्ति देना इस का काम पूरा हो गया ।। अंत में योगी ही कहता है अहम ब्रहास्मी।। #yogisonu#जानकारी