एक दिन गुजरता ना था जिसका अपनों के बगैर, आंखे खुलती ना थी जिसकी सपनों के बगैर..!! मानो अपनो के चेहरे की मुस्कान थी वो, मासूम,चुलबुली और जरा नादान थी वो..!! ठहर कर ही सही,पर वो ज़िन्दगी की सीढ़ियों पे चढ़ती थी, अक्सर हंसकर ही वो सारी मुसीबतों से लड़ती थी..!! अपनो से जुड़े सारे रिश्तों को जो बखूबी निभाती थी, सिर्फ लबों से ही नहीं जो दिल से भी मुस्कुराती थी..!! फिर क्यूं ! तन्हाइयों की दीवारों में उसने रो लिया, अपनों की खातिर उसने खुद को खो दिया..!! तन्हाइयों में गुजरता उसका सुबह से शाम हुआ, नासमझ का उसके सर पर इल्जाम हुआ..!! मानो अपने ही हाथो उसने अपने ख्वाबों को तोड़ दिया, खामोशी इख्तियार कर,उसने हंसना ही छोड़ दिया..!! ©Writer Tarannum Sheikh #alfaaz #alfaazetarannum #Life #lifequotes #sad_feeling #doubleface