Nojoto: Largest Storytelling Platform

“साथिया” अनुशीर्षक में

             “साथिया”
             अनुशीर्षक में    







 


 “कल रास्ते में ग़म मिल गया था लग के गले मैं रो दिया”
पूछ बैठा मैं उससे बता दे मेरे यारा
इतना खता क्या है कि जो वो मेरा हो गया
ईश्वर ने सिर्फ़ दिया था जो सिर्फ़ मुझे
वो मेरा होकर भी मेरा क्यों ना हुआ
रहना हो गए है मेरा अकेले ज़िन्दगी में
मैं ज़िन्दगी का पता भी खो दिया
उससे जो दूर हुआ मैं इतनी खता क्या थी मेरी
             “साथिया”
             अनुशीर्षक में    







 


 “कल रास्ते में ग़म मिल गया था लग के गले मैं रो दिया”
पूछ बैठा मैं उससे बता दे मेरे यारा
इतना खता क्या है कि जो वो मेरा हो गया
ईश्वर ने सिर्फ़ दिया था जो सिर्फ़ मुझे
वो मेरा होकर भी मेरा क्यों ना हुआ
रहना हो गए है मेरा अकेले ज़िन्दगी में
मैं ज़िन्दगी का पता भी खो दिया
उससे जो दूर हुआ मैं इतनी खता क्या थी मेरी