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( मुझे से मेरा लिखा, तकदीर नहीं बनता संभले सफर पर

( मुझे से मेरा लिखा, तकदीर नहीं बनता
संभले सफर पर हकीकत बन जाता

पंख मेरा लिखा, राग नहीं बनता
बिन संमले आंखों का ज्वार बन जाता है

मेरा लिखा, बंद ज्वाला का मुखी नहीं बनता
निकले तो दिल का उबाल बन जाता है

मेरा लिखा, कोई रोशनी नही चमकते चांद की
मेरा लिखा आग है अमृत की
 जो पीने से, आत्मा को खुदा तक ले  जाता है

मेरा लिखा सूरत नही उस सीरत की 
मेरा लिखा सीरत है उस सूरत की की 
जो दिलों में बस कर  ईश्वर तक जाता है )





( feeling writer )

©prahlad singh
  मेरा लिखा ईश्वर तक जाता है

मेरा लिखा ईश्वर तक जाता है #कविता

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