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टूटी रिक्शा वो कमज़ोर और भूखा था, उसका बदन काला

टूटी रिक्शा

वो कमज़ोर और भूखा था, 
उसका बदन काला और रुखा था
वो घंटी बजा कर सवारी बुला रहा था 

और धीरे-धीरे अपनी रिक्शा चला रहा था 
हमने रुकवाया उसे, पूछा चलोगे वहाँ 
उसने सिर हिलाकर बोला बीस रुपया
वो अपनी रिक्शा से, हमारी मंज़िल की और बढ़ा 
और सर्द हवाओं के थपेड़ों से खुद लड़ा 
पर बीच में कहीँ उसकी रिक्शा लड़खड़ाई 
उतर कर देखा उसने तो उसकी आँखे लाल हो आयी 
उसका पहिया हमारे बोझ से टूट चुका था 
और उसका गुस्सा भी अब फूट रहा था 
उसका जबड़ा और एक हाथ अकड़ गया 
और दूसरे हाथ से उसने रिक्शा को जकड़ लिया 
फिर एकदम उसकी पकड़ ढ़ीली पड़ गयी 
और उसकी आँखे आँसुओं से भर गयी 
वो उसकी गर्दन से बहकर ज़मीन पर गिरे 
और वो सुबकने लगा धीरे-धीरे 

ये सब देख हम उसकी रिक्शा से उतरे 
और दूसरी रिक्शा पकड़ वहाँ से जल्दी निकले 
छोड़ कर उसको उसके दुख के साथ अकेले

©Sumit Sehrawat #Texture
टूटी रिक्शा

वो कमज़ोर और भूखा था, 
उसका बदन काला और रुखा था
वो घंटी बजा कर सवारी बुला रहा था 

और धीरे-धीरे अपनी रिक्शा चला रहा था 
हमने रुकवाया उसे, पूछा चलोगे वहाँ 
उसने सिर हिलाकर बोला बीस रुपया
वो अपनी रिक्शा से, हमारी मंज़िल की और बढ़ा 
और सर्द हवाओं के थपेड़ों से खुद लड़ा 
पर बीच में कहीँ उसकी रिक्शा लड़खड़ाई 
उतर कर देखा उसने तो उसकी आँखे लाल हो आयी 
उसका पहिया हमारे बोझ से टूट चुका था 
और उसका गुस्सा भी अब फूट रहा था 
उसका जबड़ा और एक हाथ अकड़ गया 
और दूसरे हाथ से उसने रिक्शा को जकड़ लिया 
फिर एकदम उसकी पकड़ ढ़ीली पड़ गयी 
और उसकी आँखे आँसुओं से भर गयी 
वो उसकी गर्दन से बहकर ज़मीन पर गिरे 
और वो सुबकने लगा धीरे-धीरे 

ये सब देख हम उसकी रिक्शा से उतरे 
और दूसरी रिक्शा पकड़ वहाँ से जल्दी निकले 
छोड़ कर उसको उसके दुख के साथ अकेले

©Sumit Sehrawat #Texture