तुमसे ही लड़, गया नयन। खिला खुशी से,मन उपवन। चलो सुना दो, मधुर वचन। हो जाऊँ मैं , मस्त मगन। मुझको अपना, बना सजन। आशा की अब,तुम्हीं किरन। छूकर तुमको, चली पवन। खुशबू फैली, धरा गगन। भा जाती है, मुझे छुअन। मिटती दिल की,तेज चुभन। न चेहरे पर, रखो शिकन। अपना होगा,जल्द मिलन। #मनमोहन_छंद #विश्वासी