तुम्हें इश्क़ में अपनी वफाओं का सिला चहिए क्या ?
अरे पागल हो, फिर कोई ज़ख़्म नया चहिए क्या ?
क्या आती नहीं हसीं तुझे उसकी सादा मिजाज़ी पर,
और देख तो ले एक बार, फिर उन ज़हर फरूशों से दवा चहिए क्या ??
अरे जब होती ही नहीं रोशनी कभी अंधेरों के दरख़्त से,
तो फिर भी तुम्हें किसी अंधेरे से उजाले का पता चहिए क्या..?? #yqbaba#yqquotes#randomwritings#herthoughts#ankword