ख़्वाब पाने में बरसों लग जाते हैं, जैसे कि बीज को पौधा बनने में बरसों लग जाते हैं और पौधे को पेड़ बनने में भी वक़्त का इंतजार करना पड़ता है,,, लेकिन वो मुलायम सा पौधा बरसों तक सीना तान निहारता है सूर्य की आग उगलती रोशनी को, वो अपने वक़्त से पहले कभी फल नहीं देता,, हम मानवों में पौधों जैसा धैर्य नहीं, वक्त का इंतजार करना हमने सीखा नहीं, धैर्य से विश्वास मत उठाओ नहीं तो किस्मत को मत ठहराना जिम्मेदार... बरसों लग जाते हैं ख्वाबों को हकीकत बदलने में.. ©Kalyan Singh Singh Chouhan #Friend #ख़्वाबों #1st_post