green-leaves ना नियत साफ थी, हम बदनाम ही सही थे, अरमानों के जहां में हम बेनाम ही सही थे। भटकते रहे हम मुसाफिर, वो दरिया की तलाश में ना ही मंजिल हासिल हुई, ना ही ख्वाब मुकम्मल हुए।। ©Abhishek Jain #GreenLeaves #shyari #Life #Dream #motivate #urdu #Hindi शायरी दर्द