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White राहों के काँटे सबक़ हैं, कि मंज़िल यूँ ही नही

White  राहों के काँटे सबक़ हैं,
कि मंज़िल यूँ ही नहीं मिलती..!

गिरना संभलना लगा रहता है,
उम्मीदें तब जाकर कहीं खिलती..!

बेचैनी में निकले नहीं जो,
घर से बाहर कभी..!

पूछो उनसे कैसे और क्यों,
साँसें ज़िस्म से नहीं निकलती..!

बिना कर्म के नहीं हासिल होना,
कुछ भी यहाँ यारों..!

अँधेरे से लड़ते लड़ते देखो,
सुबह की आस में ज़िन्दगी पिघलती..!

पर परिश्रम और धैर्य से ही सबकी,
तक़दीर की तस्वीर बदलती..!

©SHIVA KANT(Shayar) #love_shayari #Rahonkekaantesabakhain
White  राहों के काँटे सबक़ हैं,
कि मंज़िल यूँ ही नहीं मिलती..!

गिरना संभलना लगा रहता है,
उम्मीदें तब जाकर कहीं खिलती..!

बेचैनी में निकले नहीं जो,
घर से बाहर कभी..!

पूछो उनसे कैसे और क्यों,
साँसें ज़िस्म से नहीं निकलती..!

बिना कर्म के नहीं हासिल होना,
कुछ भी यहाँ यारों..!

अँधेरे से लड़ते लड़ते देखो,
सुबह की आस में ज़िन्दगी पिघलती..!

पर परिश्रम और धैर्य से ही सबकी,
तक़दीर की तस्वीर बदलती..!

©SHIVA KANT(Shayar) #love_shayari #Rahonkekaantesabakhain