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White नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला

White 

 
नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। 

विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; 
घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; 
सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, 

आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। 

हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; 
दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, 
तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, 

आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ।

©"SILENT" #Sad_shayri  Nîkîtã Guptā  Mrs.Donia Aakash Bhardwaj  Jazz  Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter  Anshu writer
White 

 
नहीं हलाहल शेष, तरल ज्वाला से अब प्याला भरती हूँ। 

विष तो मैंने पिया, सभी को व्यापी नीलकंठता मेरी; 
घेरे नीला ज्वार गगन को बाँधे भू को छाँह अँधेरी; 
सपने जमकर आज हो गए चलती-फिरती नील शिलाएँ, 

आज अमरता के पथ को मैं जलकर उजियाला करती हूँ। 

हिम से सीझा है यह दीपक आँसू से बाती है गीली; 
दिन से धनु की आज पड़ी है क्षितिज-शिञ्जिनी उतरी ढीली, 
तिमिर-कसौटी पर पैना कर चढ़ा रही मैं दृष्टि-अग्निशर, 

आभाजल में फूट बहे जो हर क्षण को छाला करती हूँ।

©"SILENT" #Sad_shayri  Nîkîtã Guptā  Mrs.Donia Aakash Bhardwaj  Jazz  Vinita pahadi uttrakhand vinitawritter  Anshu writer
adilkhan7238

"SILENT"

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