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White मैंने लिखा जंगल, रेत,दरिया, खेत और पर्वत नी

White  मैंने लिखा जंगल, रेत,दरिया, खेत और पर्वत नीर लिखा,
लेकिन नहीं कभी ख़ुद के मन का लबालब सा पीर लिखा,
मैने लिखा प्रेम, मर्यादा और अधरों पर मुस्कान लिखा,
लिखा डाली ये पूरी धरती और तमाम आसमान लिखा,
किंतु संघर्षों के धूप में जी कर कभी ना खुद को वीर लिखा,
मैंने बांटा दर्द सभी के  और लिखा हैं खोए से चेहरे,
मैंने लिखा नदियों की धारा और लिखा जलधर की लहरें
लेकिन जो चुभती है हर वक्त हृदय में कभी ना वो शमशीर लिखा।

©Akshay Shivam
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