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सब कुछ पाकर भी ,ये उदासी क्यूँ ,नम आँखों में ये न

 सब कुछ पाकर भी ,ये उदासी क्यूँ ,नम आँखों में ये नाराज़ी क्यूँ,
दर्द  से   कुछ  नही  हासिल  होता  ,तो   ख़ुशी  से जंगबाज़ी क्यूँ,

पलक   से   क्यूँ    बिखर   रहा    है  ,हर     एक ख़्वाब तेरा,
खुद     अपने     ही     वजूद     से ,   ये   नजरअंदाजी क्यूँ,

क्यूँ   हुई   कैद    बोतल    में   ख़ुशी,  ये सवाल ज़रा ख़ुद से कर,
किया   हर   फ़ैसला   तूने   ही   तेरा   ,फ़िर ये बयानबाज़ी क्यूँ,

ये   ज़िन्दगी   एक   संगम  है ,जिसमे दुख और सुखों का मेला है,
आज अगर भीड़ ,कल तन्हाई है ,फ़िर पग पग पे जालसाज़ी क्यूँ,

निकलना     खुद     ही    होगा    तुझको ,  तेरे इस तंग दायरे से,
आँख    में    आसूं    क्यों  रखना ,  और  पँखो में बेपरवाज़ी क्यूँ ।।

©poonam atrey
  #नाराज़ी