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डंडे में गुण बहुत हैं, सदा राखिए संग। बदला बदला है

डंडे में गुण बहुत हैं, सदा राखिए संग।
बदला बदला है समां, कुएं-कुएं में भंग।।
कुएं-कुएं में भंग, नहीं कोई भी राजी।
अमन चैन धुतकार,बने बैठे हैं काजी।।
कहें'कमल'कविराय, बदल दो अब तुम फंडे।
समय व्यर्थ न करो, हाथ में ले लो डंडे ।।

©कमल कांत
  #दंडपाणि