देख के मुझको, वहम ना करना, मूझपे कभी तुम, रहम ना करना, कर गलती, सॉरी ना कहना, की गलती, तो बचके रहना, रावण का, मैं फैन बड़ा हु, राहु केतु, के जैसा हु, ग्रहण से कम, मुझको ना समझना, मैं तो अंधेरे, के जैसा हु, माफ़ी देना, मैं ना जानू, खून के बदले, खून ही मांगू, सोचोगे, कैसा मानव हु मै, ध्यान से सुन लो, दानव हु मै, ©Ashutosh Kumar 🤫 ध्यान से सुन लो, 👹 दानव हु मै। हम सबके अंदर एक दानव होता है, जो कभी उदासी में, या गुस्से में, बस मोका ढूंढता है बाहर आने का। उसे मोका मिलता है जब हम, अपनी उम्मीद खो देते है, तो कभी अपनी उम्मीद मत खोना, क्युकी जो होना है, वो होना है।