मै भोजन का हत्यारा, और वो भूख का। मै खुशी खुशी हत्यारा, और वो न चाहते हुए हत्यारा। मेरे मुख का रास्ता कुछ दिल चाहा निगलना चाहता था, और उसे जो से दो वो निगलने पर मजबूर। यहां मैं किसी का गला काट रहा था,, तो वो बेचारा किसी की जेब। यहां मै अपने थाली से दूरी बना रहा था,, और वो किसी को अपना कटोरा दिखा रहा था। वो बेचारा पेट पकड़े बैठा था, और मै किसी की पेट पर लात मार रहा था। एक मै भूखा और एक वो, मुझे अपने पसंद का खाना था, और उसे खाना था। #mai_or_wo_bhukha new one, my fev track spcl thanks to my thinking for such a soulful poem. i hope you will like the poem as well it was a day of thinking i m sure you gonna love and like it 😍