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आधी अधूरी जैसी भी हूं सबसे पहले इंसान हूं मैं ना

आधी अधूरी जैसी भी हूं 
सबसे पहले इंसान हूं मैं 
नासमझ नादान जो भी हूं 
आंखों में आसूं लिए इक आस हूं मैं 
माना हूं भरोसे में.....
मैं कुछ से धोखे खाईं 
राहों में मुश्किले तो सभी की आनी है 
पर किससे कहूं?
सबसे पहले इंसान हूं मैं।।

©Sarita Kumari Ravidas
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