#OpenPoetry हमारी तकदीर में तु नहीं हैं, फिर भी आँखो में तस्वीर तेरी ही क्यों हैं? हमारी हाथों की लकीर में तु नहीं हैं, फिर भी तेरे हाथ की चाहत रखता क्यों हैं? हमारी किस्मत में तेरी जिंदगी नहीं हैं, फिर भी तेरे साथ जिंदगी जीने की चाहत क्यों हैं? हमारी चाहत की आपको मालुम नहीं हैं, फिर भी तुझे ख्वाब में देखने से सुकुन क्यों हैं? राज की चाहत उस रांजा जैसी नहीं हैं, फिर भी तुझे ही हीर बनाने की चाहत क्यों हैं? हमारी फितरत खुदको संभालने की नहीं हैं, फिर भी तुझे संभालने की चाहत क्यों हैं? #OpenPoetry