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इश्क़ नहीं ग़ुनाह था शायद सज़ा जों यूं भुगत रहे है स

इश्क़ नहीं ग़ुनाह था शायद 
सज़ा जों यूं भुगत रहे है
सूखी आंखों में दरिया ढूंढ रहे

बैठ रातों में ख़्वाब बुन रहे
क़सूर क़्या रहा मेरा
ख़ुद से ये सवाल पूछ रहे

ख़ुद से ख़ुद का पता पूछ रहे
हर मर्तबा तेरा पता पा रहे
शायद इश्क़ कर सज़ा पा रहे #Poetry#Love#Pain#Shayari
इश्क़ नहीं ग़ुनाह था शायद 
सज़ा जों यूं भुगत रहे है
सूखी आंखों में दरिया ढूंढ रहे

बैठ रातों में ख़्वाब बुन रहे
क़सूर क़्या रहा मेरा
ख़ुद से ये सवाल पूछ रहे

ख़ुद से ख़ुद का पता पूछ रहे
हर मर्तबा तेरा पता पा रहे
शायद इश्क़ कर सज़ा पा रहे #Poetry#Love#Pain#Shayari