इस कलम की बेगानी स्याही आज भी तेरी कहानी लिखती है बेशक मै कुछ कडवाहट यादों को कुरेदता हूँ पर ये स्याही व्यंग के शब्दो से छुपा लेती है वो गुलज़ार यादे और ख्वाब मुकम्मल होने की आशा सबकुछ तो याद है बस दिन गुजरे है और हालात ही बदले है बाकी सारी फरियाद भी याद है । bebak_poetry #poem #quotes #poetry #new #love #memory