गुज़ार दूँ मैं उम्र बस यूँही तुम्हारें इंतज़ार में। एक जीवन तो क्या हर जन्म लूँ तेरे प्यार में।! तुम मिलोगे, हर लम्हा जीती हूँ इसी आस में। मेरी भी दुआ होगी कुबूल ख़ुदा के दरबार में।! अरमाँ मेरी पहली और आख़िरी तुम्हीं तो हो। मैंने ख़ुदा से कुछ ना चाहा सिवा तेरे साथ के।! तुझे पाने के ख़ातिर ना जाने कितनी मन्नत की। माँगा है तुझे हर मंदिर मस्जिद और गुरुद्वार पे।! तुम बिन तो अब मेरा गुज़ारा नहीं है सनम। ये साँसें, और ये ज़िंदगी कर दी है तेरे नाम पे।! तुमसे ही रौनक-ए-जहां मेरी तुम्हीं से खुशियाँ है। मेरी हर ख़ुशी तुझे दे दूँ, ले लूँ मैं तेरी सारी तकलीफें।। ♥️ Challenge-710 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।