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मातृभाषा "बघेली" में एक भजन लिखने का प्रयास होई गा

मातृभाषा "बघेली" में एक भजन लिखने का प्रयास
होई गा त जूना, चलई के राम....
कबहुँ न निकला, मुह से राम....2
जन्म त पायेन ,मानव तन मा।
उलझि गयेन ,माया के भरम मा।
अब त भरोसा,बस राम राम।
    होइ गा त जूना चलई....
खेलत खात, बालपन बीता।
भा विवाह त योवन बीता।
नही बुढ़ापा,चिंता से रीता।
अंत समय माँ ,आये न राम..
             होइ गा त जूना चलई के राम।
            कबहुँ न निकला मुह से राम2
मातृभाषा "बघेली" में एक भजन लिखने का प्रयास
होई गा त जूना, चलई के राम....
कबहुँ न निकला, मुह से राम....2
जन्म त पायेन ,मानव तन मा।
उलझि गयेन ,माया के भरम मा।
अब त भरोसा,बस राम राम।
    होइ गा त जूना चलई....
खेलत खात, बालपन बीता।
भा विवाह त योवन बीता।
नही बुढ़ापा,चिंता से रीता।
अंत समय माँ ,आये न राम..
             होइ गा त जूना चलई के राम।
            कबहुँ न निकला मुह से राम2