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White अचानक झेंप कर हँसने लगा मैं बहुत रोने की को

White अचानक झेंप कर हँसने लगा मैं 
बहुत रोने की कोशिश कर रहा था 

भँवर में फिर हमें कुछ मश्ग़ले थे 
वो बेचारा तो साहिल पर रहा था 

लरज़ते काँपते हाथों से बूढ़ा 
चिलम में फिर कोई दुख भर रहा था 
अचानक लौ उठी और जल गया मैं 
बुझी किरनों को यकजा कर रहा था 

गिला क्या था अगर सब साथ होते 
वो बस तन्हा सफ़र से डर रहा था 

ग़लत था रोकना अश्कों को यूँ भी 
कि बुनियादों में पानी मर रहा था

©aditi the writer
  #Poetry y  vineetapanchal  Kumar Shaurya  jassi gill  Niaz (Harf)  आगाज़