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सफर ये मंजिल नही इक रात का ठिकाना है सुबह उठ कर फ

सफर

ये मंजिल नही इक रात का ठिकाना है
सुबह उठ कर फिर आगे की वोर बढ़ जाना है
ले जायेंगे जिस वो मेरे ये पैर
फिर उसी रास्ते पर बढ़ते जाना है
मन में जो हमने ठाना है अब वो कर दिखाना है
जिंदगी की डोर तो इक है लेकिन
पर इस डोर के हर मोड़ से गुजर कर हमें मंजिल तक जाना है
आसमां की ऊचाईयां लाख सही
पर अपने हौसले को भी आसमां सा ऊंचा बनना है
जो देखे थे हमने सपने कभी
अब उन्हें पूरा कर के दिखाना है

©Surendra kumar bharti सफर #Ifc 
#Photos
सफर

ये मंजिल नही इक रात का ठिकाना है
सुबह उठ कर फिर आगे की वोर बढ़ जाना है
ले जायेंगे जिस वो मेरे ये पैर
फिर उसी रास्ते पर बढ़ते जाना है
मन में जो हमने ठाना है अब वो कर दिखाना है
जिंदगी की डोर तो इक है लेकिन
पर इस डोर के हर मोड़ से गुजर कर हमें मंजिल तक जाना है
आसमां की ऊचाईयां लाख सही
पर अपने हौसले को भी आसमां सा ऊंचा बनना है
जो देखे थे हमने सपने कभी
अब उन्हें पूरा कर के दिखाना है

©Surendra kumar bharti सफर #Ifc 
#Photos