Nojoto: Largest Storytelling Platform

जाग रे हिंदू अब तो जाग। कभी कानपुर कभी आगरा और हमा

जाग रे हिंदू अब तो जाग।
कभी कानपुर कभी आगरा और हमारा प्रयाग।
कहीं चल रहे पत्थर भारी कहीं लग रही आग।
भारत माँ के उजले पट पर लगा रहे हैं दाग।
जिनको दूध पिलाया अब वो लगे हैं डसने नाग।
क्या अपना घर बार त्याग तू कहीं सकेगा भाग।
महावीरता की धुन का तू छेड़ दे अब तो राग।
अपनी रक्त में भरी हुई इस कायरता को त्याग।
जाग रे हिंदू अब तो जाग।

✍️अवधेश कनौजिया 'अद्वै

©Avdhesh Kanojia #पद #Poetry #दंगे #हिंसा #Trending
जाग रे हिंदू अब तो जाग।
कभी कानपुर कभी आगरा और हमारा प्रयाग।
कहीं चल रहे पत्थर भारी कहीं लग रही आग।
भारत माँ के उजले पट पर लगा रहे हैं दाग।
जिनको दूध पिलाया अब वो लगे हैं डसने नाग।
क्या अपना घर बार त्याग तू कहीं सकेगा भाग।
महावीरता की धुन का तू छेड़ दे अब तो राग।
अपनी रक्त में भरी हुई इस कायरता को त्याग।
जाग रे हिंदू अब तो जाग।

✍️अवधेश कनौजिया 'अद्वै

©Avdhesh Kanojia #पद #Poetry #दंगे #हिंसा #Trending