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*तर्ज़ - तुम्ही मेरे मंदिर तुम्ही मेरी पूजा (खानदान

*तर्ज़ - तुम्ही मेरे मंदिर तुम्ही मेरी पूजा (खानदान फिल्म )  

भजन

   तेरी बन्दगी मुझ से छूटे न मोहन , 
यही आरजु इक मन मे बसी है ,
निग़ाहों  में मोहन बस तू ही तू है....(2)
 तेरी दया का कुछ हुआ यूँ असर है .। 

1.  तेरे भरोसे पे छोड़ा है सब कुछ , तुम ही संभालोगें मुझ को यकीन है,..(2)
       मैं तेरे चरणों की धूल हूँ मोहन , तुम्हे भूल जाऊं ये मुमकिन नहीं है..।।
                                                                 ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

2.  ये पीड़ा जो दिल में है दिखाऊं मैं किस को, किसको पड़ी है जो मेरी सुनेगा ....(2)
        तुम एक बार मिलने का वादा जो कर दो,   दर्द जुदाई का सह लूँगी  हँसके...।।
                                                                   ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

3. बहुत हो चूका अब छुपना - छुपाना, मुझे आके एक बार ह्रदय से लगा लो.....(2)
        जैसी भी हूँ अब तेरी हूँ मोहन , मुझे श्याम अपनी जोगन बना लो.....।।
                                                                  ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

   4.  हे *'इंदू'* के *"श्याम"* अब तुम्ही ये बता दो.. बिरहा में कब तक यूँ रोती रहूँगी...(2)
              " निःशब्द " दयालु दया मुझ पे कर दो , दृश्य श्यामसुंदर मुझे भी दिखा दो.।
                                                                    ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

निःशब्द अमित शर्मा ✍️ # हृदय वाणी श्री कृष्ण भजन
*तर्ज़ - तुम्ही मेरे मंदिर तुम्ही मेरी पूजा (खानदान फिल्म )  

भजन

   तेरी बन्दगी मुझ से छूटे न मोहन , 
यही आरजु इक मन मे बसी है ,
निग़ाहों  में मोहन बस तू ही तू है....(2)
 तेरी दया का कुछ हुआ यूँ असर है .। 

1.  तेरे भरोसे पे छोड़ा है सब कुछ , तुम ही संभालोगें मुझ को यकीन है,..(2)
       मैं तेरे चरणों की धूल हूँ मोहन , तुम्हे भूल जाऊं ये मुमकिन नहीं है..।।
                                                                 ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

2.  ये पीड़ा जो दिल में है दिखाऊं मैं किस को, किसको पड़ी है जो मेरी सुनेगा ....(2)
        तुम एक बार मिलने का वादा जो कर दो,   दर्द जुदाई का सह लूँगी  हँसके...।।
                                                                   ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

3. बहुत हो चूका अब छुपना - छुपाना, मुझे आके एक बार ह्रदय से लगा लो.....(2)
        जैसी भी हूँ अब तेरी हूँ मोहन , मुझे श्याम अपनी जोगन बना लो.....।।
                                                                  ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

   4.  हे *'इंदू'* के *"श्याम"* अब तुम्ही ये बता दो.. बिरहा में कब तक यूँ रोती रहूँगी...(2)
              " निःशब्द " दयालु दया मुझ पे कर दो , दृश्य श्यामसुंदर मुझे भी दिखा दो.।
                                                                    ( तेरी बन्दगी मुझ से......)

निःशब्द अमित शर्मा ✍️ # हृदय वाणी श्री कृष्ण भजन