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पता नहीं कैसा कुचक्र है विचारों का, सैकड़ों वर्षों

पता नहीं कैसा कुचक्र है विचारों का,
सैकड़ों वर्षों के आततायी शोषण के बाद
क्रोध को यदि प्रकट रूप दे दिया हमनें,
रणभेरी गूँज उठेगी - लहू बिखर जाएगा

खुलकर कहने में डर लगता है
( चिन्ता है सुरक्षा की )
माता-पिता वृद्ध हैं, बहन छोटी है #alokstates #india #exploitation #life
पता नहीं कैसा कुचक्र है विचारों का,
सैकड़ों वर्षों के आततायी शोषण के बाद
क्रोध को यदि प्रकट रूप दे दिया हमनें,
रणभेरी गूँज उठेगी - लहू बिखर जाएगा

खुलकर कहने में डर लगता है
( चिन्ता है सुरक्षा की )
माता-पिता वृद्ध हैं, बहन छोटी है #alokstates #india #exploitation #life