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गम को मेरे चला मापने क्या तू गम से खाली है दुनिय

गम को मेरे चला मापने 
क्या तू गम से खाली है 
दुनियाँ की इस भीड़ में क्या ??  
तेरा अब भी चलना जारी है 
अरे बता ऐ दोस्त यार तू
कभी ओ यारा तड़पा है
सामने तेरे था ओ समंदर 
फ़िर भी पानी को तरसा है  
नहीं मानता मैं इस जग को 
इसकी सबही झूठी माया है
जब जब हमनें साथ चाहा 
तब -तब इसने ठुकराया है
नहीं है फीलिंग नहीं इमोशन 
ऐसा हम खुद ही कहते है 
अरे इस जग को काहे बतलायें 
हम छुप -छुप कर रोते है 
दिया है इस जग ने ओ धोखा 
तबही तो यारा बिखरा हूँ 
लाख बार खुद को है सहेजा 
फ़िर भी उजड़ा का उजड़ा हूँ
नहीं चाहिये कोई हमदर्दी 
ना सहानुभूति का भूखा हूँ 
मैंने चाह इक साथ अनौखा 
बस उसी खोज में निकला हूँ

©ANOOP PANDEY
  Anshu writer silent but voilent Yuvika Shekhawat Sm@rt divi pandey 
गम को मेरे चला मापने 
क्या तू गम से खाली है 
दुनियाँ की इस भीड़ में क्या ??  
तेरा अब भी चलना जारी है 
अरे बता ऐ दोस्त यार तू
कभी ओ यारा तड़पा है
सामने तेरे था ओ समंदर